ऑनलाइन पढ़ाई करते हुए आँखों की देखभाल/ online pdhai krte huye aankho ki dekhbhal

 


कोरोना जैसी महामारी के आ जाने से सभी स्कूल बन्द पड़े है। ऐसे में बच्चों को घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए बच्चों को कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन के जरिये पढ़ाया जा रहा है। बच्चों और अध्यापक दोनों को ही 2 घण्टे से ज्यादा समय कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिताते है। जिस कारण उनकी आँखों पर गलत प्रभाव पड सकता है और साथ ही कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम का अनुभव हो सकता है।

जिस कारण से उन्हें कुछ परेशानियो का सामना करना पड सकता है। जैसे:-

-सिरदर्द

- ध्यान का नुकसान

- आँखों में जलन

- थकी-थकी आँखे

- आँखों में लाली

- आँखों को 2-2 चीजे दिखना

- धुंधली दृष्टी होना

- कन्धों और गर्दन में दर्द होना

   अगर इनमे से कोई लक्षण दिखाई दे तो नेत्र चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।


ऑनलाइन पढ़ाई करते हुए आँखों की देखभाल के लिए टिप्स:-

1) रोशनी का ध्यान:-

यदि खिड़की या दरवाजे से रौशनी सीधे स्क्रीन पर पड़ती है तो खिड़की दरवाजा बन्द कर दे। सीधे स्क्रीन पर रौशनी पड़ने से साफ़ दिखाई नही देता और ज्यादा ध्यान लगाकर देखना पड़ता है। जिससे आँखों पर प्रभाव पड़ सकता है।

2) ब्राइटनेस का ध्यान रखे:-

कंप्यूटर की ब्राइटनेस को कम रखे। ज्यादा रौशनी से सीधा आँखों पर प्रभाव पड़ता है।

3) हरी घास:-

सुबह के समय नंगे पाँव हरी घास पर चलना चाहिए। इससे आँखों को लाभ होता है।

4) आँखे झपके:-

काम करते समय बच्चे आँखे झपकना भूल जाते है। उनको थोड़ी-थोड़ी देर बाद आँखे झपकते रहना चाहिए। यदि आप आँखों को खुश्क महसूस करते है तो पलके झपके।

5) विश्राम करे:-

2 घण्टे बाद अपनी आँखों को 20 मिनट का ब्रेक दे।

6) आँखों का चश्मा:-

कंप्यूटर पर यदि कोई रोज काम करता है तो उसके लिए एक चश्मा लगाया जा सकता है जो आप नेत्र चिकित्सक की सलाह से ले सकते है।

7) सुविधाजनक कुर्सी का इस्तेमाल करे। ताकि काम करते समय पैर जमीन पर टीके।

8) कंप्यूटर को आँखों की सीध में रखे। ऊपर या नीचे को तरफ रखने से बच्चा गर्दन में दर्द महसूस कर सकता है।


ब्रैस्ट मिल्क बढ़ाने के 11 प्राकृतिक उपाय/ Natural way to increase breast milk instantly

                                                                


बच्चे को 6 महीने तक माँ का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। यहाँ तक की उसे पानी भी नही दिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि बच्चे को माँ के दूध से ही सब चीजे मिल जाती है।और माँ के दूध के फायदे होते हैबच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। 

लेकिन ऐसा देखा गया है की शुरू में तो माँ के दूध का उत्पादन सही से होता है और बच्चा छोटा होता है। बच्चे का पेट भर जाता है। पर जब बच्चे बड़े होते है तो उनको इतना दूध नही मिल पाता जितने की उन्हें आवश्यकता होती है। ऐसे में बच्चा भूखा रह जाता है।

कैसा पता लगाये के बच्चा भूखा है:-

इसमें घबराने की कोई बात नही है। कुछ लक्षणों से पहचाना जा सकता है की बच्चा भूखा है।

-बच्चा रोता रहता है।

 -उसे नींद नही आती।

-ब्रैस्ट फीड के 1-2 मिनट बाद रोने लगता है।

-उसका यूरिन yellow आता है।

ब्रैस्ट मिल्क बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय:-

1) बच्चा जितनी बार भी दूध पीता है उसे अपना दूध पिलाइये। इससे शरीर में दूध उत्पादन की मांग बढेगी। यदि आप उसे अपना दूध पिलाते हो तो body प्रोलैक्टिन नामक हॉर्मोन produce करती है इससे ही body दुध प्रोड्यूस करती है।

2) दोनों स्तनों का दूध पिलाइये। एक बार दूध पिलाते हुए कम से कम 4-5 बार स्तनों को बदले।

3) तुलसी का सेवन करके भी दूध के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इसे आप चाय में ले सकती है या ऐसे ही तुलसी के पत्ते तोड़ कर खा सकती है।

4) आप सूखे मेवे खाकर भी दूध के उत्पादन को बढ़ा सकती है। जब आप बच्चे को दूध पिलती है तो आपको अपने खाने पिने का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। आपको अपने खाने में dry fruits जैसे बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट शामिल करने चाहिए।


5) दूध पिलाने से पहले अपने स्तनों की हाथो से मालिश कीजिये। यह भी दूध produce करने में सहायता करता है।

6) दाल में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो दूध को बनाने में काफी मदद करता है। इसलिए दिन में 2 कटोरी दाल अपने खाने में शामिल करना चाहिए।


7) हरी सब्जिया जैसे पालक, मेथी दूध के उत्पादन के लिए जरूर खाये।

8) दूध और दूध से बनी चीजो को खाये। यह breast milk produce करने में काफी मदद करता है।

9) अपने खाने में दलिये को जरूर शामिल करे। आप नमकीन या मीठा जैसा पसन्द हो वैसा बना कर खा सकती है।

10) आपमे खाने में लहसुन को शामिल करे। इसे आप सब्जी में तड़का लगाकर या लहसुन का आचार, या फिर ऐसे भी खा सकती है।


11) जब आप बच्चे को breast feed करा रही होती है तब आपको किसी भी प्रकार की कोई भी tension नही लेनी चाहिए। इससे आपके शरीर पर फर्क पड़ता है। जिससे दूध के उत्पादन में कमी आ सकती है।


गर्भावस्था के दौरान खजूर का सेवन, खजूर के नुकसान/Benefits of eating dates during pregnancy

                 

प्रेगनेंसी में खजूर खाना बहुत अच्छा माना गया है। प्रेगनेंसी में आम दिनों से ज्यादा energy की आवश्कता होती है। खजूर energy का बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसमें मौजूद fructose बीना suger level को बढ़ाये ही energy देता है। vit-k से भरपूर खजूर बच्चे के bones और development के लिए जरूरी होता है। खजूर का सेवन करने से डिलीवरी के बाद दूध का उत्पादन भी बहुत अच्छी मात्रा में होता है।

गर्भावस्था के दौरान खजूर के सेवन से प्रेगनेंसी की बहुत सी दिक्कते दूर होती है साथ ही delivery को भी आसान बनती है। गर्भावस्था के दौरान खजूर का सेवन करने से प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली थकान, कमजोरी, अनिद्रा से राहत मिलती है।

प्रेगनेंसी में खजूर खाने के फायदे:-

1) प्रेगनेंसी में कब्ज की दिक्कत हो जाती है। खजूर में फाइबर होता है। यदि प्रेगनेंसी में खजूर का सेवन किया जाये तो कब्ज की दिक्कत नही होती।

2) प्रेगनेंसी में खजूर का सेवन करने से कैलेस्ट्रोल level नार्मल हो जाता है।

3) Protein बच्चे की growth के लिए बहुत आवश्यक होता है। प्रोटीन एमिनो एसिड produce करता है और खजूर में folate होता है जो जन्मजात दोष को दूर करता है।

4) अनीमिया में folic acid की जरूरत होती है। और खजूर में folic एसिड पाया जाता है। इसलिए खजूर खून की कमी को भी पूरा करता है।

5) खजूर में Mg पाया जाता है। Mg बच्चे के साथ माँ की bones के लिए भी जरूरी होता है। बच्चे के दाँत के साथ liver और kidney की असमानता को भी Mgही सही करता है।

6) खजूर में oxytocin की मात्रा सही होती है जो डिलीवरी के समय uterus की sensivity को बढ़ाने का काम करती है।

खजूर में पाये जाने वाले पोषक तत्व:-

Iorn, vitamins, Mg, फोलिक एसिड, कैलोरीज, प्रोटीन, vit-k, फाइबर, fat, पोटैशियम।

प्रेगनेंसी के दौरान खजूर कब से लेनी चाहिए:-

पहले trimester(1-3 month) खजूर का सेवन नही करना चाहिए। अगर आप फिर भी लेना चाहती है तो 1-2 खजूर अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ले सकती है।

Second trimester(4-6 month) में 4-5 खजूर ले सकती है।

Third trimester(7-9 month) में 6-7 खजूर ले सकती है।

प्रेगनेंसी में आप खजूर daily न खाये। हफ्ते में 2-3 बार ले।

खजूर के नुकसान:-

 खजूर की तासीर गर्म होती है। अधिक मात्रा में खजूर का सेवन करने से नुकसान भी हो सकता है। प्रेग्नेंट महिला को खजूर का सेवन काफी सावधानी से करना चाहिए। बहुत से लोगो को खजूर से एलर्जी होती है उन्हें डॉक्टर की सलाह लेकर खजूर खानी चाहिए।

1) वजन का बढ़ना।

2) अधिक खजूर खाने से इसमें पाई जाने वाली चीनी ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है।

3) अधिक मात्रा में खजूर के सेवन से गैस और पेट में दर्द हो सकता है।

4) यह दाँतो पर चिपक जाती है जिससे दाँतो की समस्या भी हो सकती है।

प्रेगनेंसी के समय निम्बू पानी पिने के फायदे और नुकसान/lemon water in pregnancy

                                                               


                                  

प्रेगनेंसी में निम्बू पानी पीना काफी अच्छा माना जाता है। प्रेगनेंसी में रोज 8-10 गिलास पानी पिने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। Body को hydrate रखने के लिए निम्बू का सेवन करना काफी अच्छा option है। निम्बू पानी के पिने से डिलीवरी में आसानी होती है साथ ही यह और भी होने वाली परेशानियों को कम करता है। यह body से विषैले पदार्थो को मूत्र के रस्ते बाहर निकलता है।

क्या प्रेगनेंसी में निम्बू पानी पिया जा सकता है?

बिलकुल डॉक्टर के अनुसार प्रेगनेंसी में निम्बू पानी पिया जा सकता है। इसे लेना सुरक्षित माना जाता है। बोतल बन्द निम्बू पानी पिने के बजाए घर पर ही fresh निम्बू पानी बनाकर पिए।

प्रेगनेंसी में निम्बू पानी पिने के फायदे:-

1) गर्भावस्था में निम्बू पानी के सेवन से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

2) प्रेगनेंसी में निम्बू पानी का सेवन शिशु के विकास के लिए जरूरी होता है क्योकि इसमें कैल्शियम और पोटैशियम होता है जिससे शिशु का मानसिक और शरीरिक विकास अच्छे से होता है। कैल्शियम और पोटैशियम बच्चे की हड्डी के लिए आवश्यक होता है।

3) निम्बू पानी का सेवन करने से immunity मजबूत होती है।

4) प्रेगनेंसी में कब्ज की बहुत दिक्कत होती है। निम्बू पाचन तन्त्र को उत्तेजित करता है और कब्ज होने से रोकता है।

5) निम्बू पानी का सेवन food craving को रोकता है।

निम्बू में पाये जाने वाले पोषक तत्व:-

निम्बू पानी में बहुत से पोषक तत्व पाये जाते है जिसमे सुगर, कार्बोहायड्रेट, ऊर्जा, पानी अच्छी मात्रा में होती है।

Vit-B6, vit-k, vit-E, folate, नियासिल, थाइमिन, ribofilamin, कैल्शियम, जिंक, पोटैशियम

निम्बू पानी कब लेना चाहिए?

निम्बू में vit-c बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। 

पहली तिमाही में निम्बू का सेवन न करे। इस समय पर vit-c जिस भी फल में होता है उसका सेवन न करे। क्योकि ज्यादा vit-c लेने से गर्भपात के chances बढ़ जाते है। आप चौथे महीने से निम्बू का सेवन कर सकती है।

यदि सीने में जलन, खाँसी, जुकाम हो तो निम्बू पानी न ले। निम्बू पानी सुबह के समय लेना चाहिए रात के समय नही।

निम्बू पानी कैसे ले:-


एक गिलास पानी में एक निम्बू निचोड़ लीजिये और पि लोजिये। यदि आप मीठा पीना पसन्द करते है तो उसमे शहद डाल लीजिये। या काले नमक के साथ निम्बू को ले सकती है।