बच्चे की इम्युनिटी कैसे बढ़ाये


अक्सर देखा जाता है बच्चे बीमार रहते है ऐसा उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति का कमजोर होने की वजह से होता है। माताये अपने बच्चे के बारे में चिंतित रहती है की वे आपने बच्चे को स्वस्थ कैसे रखे। जरा सा मौसम बदला नही के बच्चे बीमार हो जाते है। ज्यादा छोटे(6 महीने) तक के बच्चे के लिए तो माँ का दूध ही काफी होता है। उसको माँ के दूध से ही सब कुछ मिल जाता है। 6 महीने से ऊपर के बच्चे की भी कुछ उपाय से इम्मुनिटी पॉवर को बढ़ाया जा सकता है।
माँ का दूध:-
माँ का दूध बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है। यह बच्चे को बीमारियो से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। छोटी-छोटी बीमारिया जैसे जुकाम, खांसी,बुखार आदि यदि बच्चा माँ का दूध पीता है तो होने की सम्भावना कम रहती है।

नवजात शिशु बार बार लैट्रिन करता है

  

  बच्चे की पॉटी को लेकर माता-पिता के मन में बहुत से सवाल आते है। बच्चे को पॉटी कितनी बार करनी चाहिये, पॉटी का रंग कैसा होना चाहिए, पॉटी hard है या soft है इस तरह के बहूत से विचार parents को परेशान करते है। और वो हर छोटी सी बात के लिए डॉक्टर के पास चले जाते है। इस लेख में हम पॉटी के बारे में जितने भी प्रश्न उठते है उनके बारे में अच्छे से बताने का प्रयत्न करेंगे।
बच्चे की पॉटी बहूत बातों पर निर्भर करती है जैसे:-

बच्चे को सर्दी व खाँसी से बचाने के 6 घरेलू नुस्खे

                                                             
बच्चों को सर्दी खाँसी होती रहती है। जरा सा मौसम बदला नही की बच्चे बीमार पड जाते है। क्योकि इनका इम्यूनिटी पॉवर ज्यादा अच्छा नही होता। लेकिन थोड़े बहूत सर्दी खाँसी में आप घरेलू उपचार करके भी घर पर ही इलाज कर सकते है।
बच्चों की सर्दी खाँसी के लिए 6 घरेलू उपचार:-

बच्चे की त्वचा की देखभाल के लिए कुछ खास टिप्स


नवजात शिशु की त्वचा बहुत नाजुक और पतली होती है।बच्चे की त्वचा को विशेष् देखभाल की जरूरत होती है। माता-पिता बच्चे की त्वचा पर कुछ देखते है जैसे लाल चक्के, घमोरियां,रूखी तो परेशान होने लगते है।
बच्चे का पलना/ cradle cap:-

यह ज्यादातर 1 साल तक के बच्चों में पाया जाता है।यह दिखने में लाल या पीली मोटी त्वचा होती है।इसको आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसा माना गया है की यह
-सफाई की कमी 
-जन्म के समय हार्मोन ट्रांसफर  
-रूखी त्वचा से होती है
लेकिन इसके लिए ज्यादा परेशान होनी की जरूरत नही है। यह अपने आप साफ़ हो जाती है। यदि कुछ सप्ताह में भी यही ठीक न हो तब विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
बच्चे की रूखी/फटी त्वचा:-

बच्चे की अवस्थाये,baby stages in hindi

बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास
बच्चा जब पैदा होता है तभी से माता-पिता की जिम्मेदारी और परेशानी बढ़ जाती है। परेशानी इसलिए जब घर में छोटा सा मेहमान आता है तब पहली बार उन्हें पता नही होता की परवरिश कैसे करनी है। शिशु काल के किस समय पर उसकी क्या activity होगी। 
इस लेख में आपको पता चलेगा की बच्चे की अलग-अलग stages पर क्या activity होती है।
1 से 2 महीने का बच्चा:-

1 से 2 महीने का बच्चा सिर्फ दूध पीना, थोडा बहूत हाथ-पैर इधर-उधर घूमना, सोना जानते है। 
 दूसरे महीने तक आते आते वो थोडा बहूत आवाज का ध्यान करना शुरू कर देते है और अपने आप भी आवाज निकलना शुरू कर देते है।
3 से 4 महीने का बच्चा:-

बच्चों के बालों को झड़ने से रोकने के कुछ खास टिप्स,बच्चे के बालों की रोज़ाना देखभाल/ Baccho ke baalo ki dekhbhal

हर बच्चा बालो के साथ पैदा नही होता। कुछ बच्चे गंजे पैदा होते है, कुछ कम बालो वाले और कुछ घने बालों वाले। लेकिन हर बच्चे की scalp का ध्यान रखना बहूत जरूरी होता है। नही तो बहूत सी परेशानियो का सामना करना पड़ सकता है।
बच्चे के बालों की रोज़ाना देखभाल:-
1) बच्चे का पालना / cradle cap:-

यह ज्यादातर 1 साल तक के बच्चों में पाया जाता है।यह दिखने में लाल या पीली मोटी त्वचा होती है।इसको आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसा माना गया है की यह

दाँत निकलते समय बच्चे पर प्रभाव,बच्चों के दांत निकलते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए/Bccho ke daant

बच्चों को दाँतो की वजह से होने वाली परेशानियां
जब बच्चे के  दाँत निकलते है तो उसे बहूत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मसूड़ो में दर्द, सर में दर्द, दस्त, नींद में परेशानी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
बच्चे  के दाँत निकलने के लक्षण:

8 महीने के बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं?

बच्चा कब बोलेगा??
वैसे तो बच्चा 1 साल के बाद ही अपनी समझ से शब्द बोलता है। लेकिन अपनी बातों को वो रो कर शुरू से ही बताने लगता है। सवा महीने तक तो बच्चा भूख लगने, नैपी गीला होने, गोद में आने के लिए ही रोता है। बच्चे का विकास बहूत तेजी से होता है। सवा महीने बाद वो आवाज को सुनता है, चीजो को देखकर खुश होता है। अपने माता-पिता की आवाज को पहचानने लगता है। कभी-कभी उन आवाजो के जवाब देने के लिए मुह से आवाजे निकालता है।
8 महीने से कम बच्चे को कैसे बोलने के लिए प्रोत्साहित करे:-

बच्चे का चलना

                        
माता-पिता में ये उत्सुकता बनी रहती है की उनका बच्चा कब बैठना शुरू करेगा, कब घुटनो के बल चलेगा और कब अपने पैरों से चलेगा। इसके लिए वे अपने बच्चे को दुसरो के बच्चों से तुलना भी करने लगते है। परन्तु कभी भी अपने बच्चे की दुसरो के बच्चों से तुलना न करे। हर बच्चा अलग होता है। सबका शरीरिक और मानसिक विकास अलग होता है। कोई कुछ काम जल्दी से कर लेता है कोई देरी से करता है। और दूसरों से तुलना करने से आप भी परेशान हो जाते हो।
बच्चे के चलने की आयु 9 महीने से शुरू हो जाती है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल भी नही है की हर बच्चा 9 महीने से ही चलना शुरू कर दे।
15 महीने तक ज्यादातर बच्चे चलना शुरू कर देते है। लेकिन कुछ बच्चे 18 महीने के भी चलना शुरू कर देते है। परेशानी की बात तब होती है जब बच्चा चलने की बिलकुल भी कोशिश न करता हो। यदि आपको लगे की आपका बच्चा बहूत ज्यादा देरी कर रहा है तब आपको डॉक्टर से मिलने में देरी नही करनी चाहिए।
जब बच्चा चलने की कोशिश करता है तो वह क्या करता है:

बच्चों का वजन बढ़ाने में मददगार कुछ आहार,बच्चे का वजन न बढ़ने के कारण,baby weight chart by age

                                                       
बच्चे के सही वजन का होना अत्यादिक आवश्यक है। बच्चे के वजन को तोल कर यह अनुमान लगाया जाता है कि बच्चा स्वस्थ है। लेकिन सिर्फ वजन का सही होने का मतलब यह नही होता की बच्चा स्वस्थ है। हमे यह भी ध्यान में रखना चाहिए की हर किसी का शरीर एक सा नही होता। बच्चे को देखकर की वह मोटा है यह नही कहा जा सकता की वह स्वस्थ है। बच्चे का वजन लम्बाई और उम्र के हिसाब से पता होना जरूरी है। बच्चे के लम्बाई और वजन का सही पता होने के लिए बच्चे के Body mass index(BMI) का पता होना जरूरी है।

नीचे दी गई table से बच्चे के उम्र के हिसाब से वजन और लम्बाई जान सकते है